Saturday, October 22, 2011

तुम बुरे हो

सब रूठे हैं यहाँ मुझसे, किसी के पास दो पल नहीं

मैं आगे बढ़ा और हाथ बढ़ा कर पुछा “कैसे हो दोस्त?”, उसने कहा “तुम बुरे हो”

यह देख हमने भी अपने दरवाज़े बंद किये और खुद में सिमट कर रह गए

एक दिन कोई दरवाज़े पर खड़ा दिखा उसने हाथ बढ़ाया और मुझसे पुछा “कैसे हो दोस्त”

हमने भी उससे मुह फेर लिया और कह दिया “तुम बुरे हो”




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