Saturday, October 22, 2011

तुम बुरे हो

सब रूठे हैं यहाँ मुझसे, किसी के पास दो पल नहीं

मैं आगे बढ़ा और हाथ बढ़ा कर पुछा “कैसे हो दोस्त?”, उसने कहा “तुम बुरे हो”

यह देख हमने भी अपने दरवाज़े बंद किये और खुद में सिमट कर रह गए

एक दिन कोई दरवाज़े पर खड़ा दिखा उसने हाथ बढ़ाया और मुझसे पुछा “कैसे हो दोस्त”

हमने भी उससे मुह फेर लिया और कह दिया “तुम बुरे हो”




Tuesday, September 6, 2011

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है ।

मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है ।

आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है ।

मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में ।

मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो ।

जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम ।

कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती !

सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” द्वारा लिखित यह कविता मैंने बचपन में पढ़ी थी. यह कविता हमेशा मुझे फल की चिंता न कर, अथक प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है.

Monday, July 4, 2011

मै शायर बदनाम

मै शायर बदनाम मैं चला, मैं चला
महफ़िल से नाकाम मैं चला, मैं चला

मेरे घर से तुम को, कुछ सामान मिलेगा
दीवाने शायर का, एक दीवान मिलेगा
और एक चीज मिलेगी, टूटा खाली जाम

शोलों पे चलना था, कांटो पे सोना था
और अभी जी भर के, किस्मत पे रोना था
जाने एसे कितने, बाकी छोड़ के काम

रास्ता रोक रही है, थोड़ी जान हैं बाकी
जाने टूटे दिल में, क्या अरमां हैं बाकी
जाने भी दे ए दिल सब को मेरा सलाम